Breaking News
चार साल के मासूम का मिला आधा अधजला शव, मुकदमा दर्ज
निकाय चुनाव की तिथि का किया ऐलान, जानिए कब होगी वोटिंग
नगर निगम, पालिका व पंचायत के आरक्षण की फाइनल सूची जारी
 कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने स्वामी विवेकानन्द पब्लिक स्कूल के 38वें वार्षिकोत्सव कार्यक्रम में किया प्रतिभाग
तमन्ना भाटिया के प्रशंसकों को मिला तोहफा, ‘ओडेला 2’ का नया पोस्टर जारी
चकराता में हुई सीजन की दूसरी बर्फबारी, पर्यटक स्थलों पर उमड़े लोग, व्यवसायियों के खिले चेहरे 
सर्दियों में भूलकर भी बंद न करें फ्रिज, वरना हो सकता है भारी नुकसान, ऐसे करें इस्तेमाल
प्रधानमंत्री मोदी ने ‘रोजगार मेला’ के तहत 71,000 युवाओं को सौंपे नियुक्ति पत्र
अभिनेत्री पद्मिनी कोल्हापुरे ने सीएम धामी से की मुलाकात 

हताश युवा क्या करें?

भारत सरकार ने मान लिया है कि यूक्रेन के खिलाफ युद्ध के लिए रूसी सेना ने कई भारतीय युवाओं की भर्ती की है। इस प्रकरण में उठा मुख्य मुद्दा यह है कि आखिर भारतीय नौजवान कहीं भी, कैसा भी काम पाने के लिए इतने व्यग्र क्यों हैं? भारत सरकार ने स्वीकार कर लिया है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के लिए रूस की सेना ने कई भारतीय युवाओं की भर्ती की है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक ऐसे कम-से-कम 100 भारतीय नौजवान रूसी सेना में नौकरी कर रहे हैं। उनमें से कम-से-कम तीन को रूस ने मोर्चे पर तैनात किया है। यानी वे रूस की तरफ से युद्ध लड़ रहे हैं।

स्वतंत्र भारत के इतिहास में यह संभवत: पहला मौका है, जब भारतीयों के सामूहिक रूप से भाड़े के सैनिक बनने की खबर आई है। सामने आईं जानकारियों के मुताबिक रूस की सेना ने दुबई के जरिए इन भारतीयों को अनुबंधित किया। रूस के गए नौजवानों के परिजनों का दावा है कि इन लोगों की नियुक्ति रूसी सेना की सहायता के लिए की गई थी, लेकिन यूक्रेन सीमा के पास ले जाकर उन्हें बताया गया कि उन्हें लड़ाई भी लडऩी है। मुद्दा उछलने के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा है कि इन भारतीयों को स्वदेश लाने के लिए भारत सरकार रूस की सेना के साथ संपर्क में है।

विदेश मंत्रालय ने भारतीय नागरिकों को आगाह किया है कि वह रूस-यूक्रेन युद्ध से अपने आपको दूर रखें। लेकिन यह सलाह बेमतलब है। जब ये नौजवान रूस चले गए, तब वहां के हालात उनके अपने हाथ में नहीं होंगे। इसलिए विचारणीय प्रश्न यह है कि आखिर भारतीय नौजवान विदेशों में कहीं भी, कैसा भी काम पाने के लिए इतने व्यग्र क्यों हैं? आखिर खुद भारत सरकार ने युद्ध-ग्रस्त इजराइल में मेहनत-मजदूरी करने के लिए हजारों युवाओं को भेजने का करार किया है।

वहां जाने के लिए जुटी भीड़ में शामिल नौजावनों ने मीडिया से कहा था कि उन्हें इजराइल जाने का जोखिम मालूम है, लेकिन उन्हें लगता है कि ‘यहां भूखों मरने से बेहतर वहां काम करते हुए मरना है।’ असल मुद्दा युवाओं में समा गई यही मायूसी है। उत्तर प्रदेश में पुलिस भर्ती परीक्षा में जो नजारा दिखा है, उससे आसानी से समझा जा सकता है कि ऐसी हताशा क्यों पैदा हो रही है। अगर यह स्थिति आज सार्वजनिक विमर्श में सर्व-मुख्य मुद्दा नहीं है, तो रूस गए नौजवानों की तमाम चिंताएं निरर्थक समझी जाएंगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top