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उत्तराखंड : भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट के पुतले को बम से उड़ाने का वीडियो वायरल, विरोध के इस तरीके पर उठे सवाल

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने की वायरल वीडियो की कड़ी निंदा, बोले यह प्रदेश के लिए शुभ संकेत नहीं

देहरादून । उत्तराखंड में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट के पुतले को पटाखों से उड़ाने का वीडियो सामने आया है। इस घटना ने सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाओं को जन्म दिया है। लेकिन सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि बेरोजगार संघ के अध्यक्ष ने फेसबुक पर पोस्ट लिखते हुए इसे सांकेतिक धमाका बताया और कहा—

“यह धमाका केवल सांकेतिक है, जल्द ही प्रदेशवासियों को वास्तविक धमाका देखने को मिलेगा।”

इस बयान ने विवाद को और बढ़ा दिया है। सोशल मीडिया पर लोग इसे हिंसा भड़काने वाला बयान मान रहे हैं। पत्रकारों, समाजसेवियों और नागरिकों ने विरोध के इस तरीके पर गंभीर सवाल उठाए हैं। कई लोगों ने इसे भयावह, अनुचित और लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ बताया है। विरोध जताने के इस रूप को लेकर समाज के अलग-अलग तबकों में बहस छिड़ गई है।

वहीं उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के पुतले को पटाखों से उड़ाते हुए दिखाए गए वायरल वीडियो की कड़ी निंदा करते हुए बयान जारी किया।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट से संबंधित एक वीडियो आज वायरल हो रहा है, जो हमारे देश और प्रदेश के लिए शुभ संकेत नहीं है। आपका विरोध किसी दल या व्यक्ति से हो सकता है, परंतु राजनीतिक विरोध से इतर, इस प्रकार का वीडियो अत्यंत निंदनीय और अस्वीकार्य है। ऐसे कृत्यों से शांतिप्रिय प्रदेश उत्तराखंड में आपसी वैमनस्य और विद्वेष की भावना बढ़ती है। शासन-प्रशासन को इस मामले का गंभीरता से संज्ञान लेते हुए दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।

वरिष्ठ पत्रकारों की प्रतिक्रियाएं

इस घटना को लेकर कई वरिष्ठ पत्रकारों ने खुले तौर पर अपनी असहमति और चिंता व्यक्त की है। उन्होंने चेतावनी दी कि विरोध का यह तरीका लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है और इससे राज्य में अस्थिरता फैल सकती है।

अखिलेश डिमरी

वरिष्ठ पत्रकार अखिलेश डिमरी ने इस घटना को अफसोसजनक करार देते हुए कहा कि विरोध का यह तरीका भयावह है। उन्होंने प्रदर्शनकारियों से अपील की कि वे इस तरह के हिंसक और डरावने तरीकों से बचें और एक तार्किक और निर्णायक विरोध का रास्ता अपनाएं। उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग इस तरह के विरोध में शामिल हो रहे हैं, उन्हें यह समझने की जरूरत है कि समाज में ऐसे लोग भी हैं जो इसका समर्थन कर रहे हैं। उन्होंने प्रदर्शनकारियों को सलाह दी कि वे सोशल मीडिया पर उन लोगों की पोस्ट पर भी नजर डालें, जो विरोध के बावजूद मौन हैं, ताकि उन्हें यह समझने में मदद मिल सके कि असली समस्या क्या है।

पंकज पंवार

वरिष्ठ पत्रकार पंकज पंवार ने भी इस घटना की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि भावनाओं में बहकर विरोध करना बेकार है। अगर विरोध करना है तो जनसहभागिता और तार्किक सोच के साथ किया जाए। उन्होंने कहा कि इस तरह के हिंसक प्रदर्शनों से कोई ठोस बदलाव नहीं आएगा और यह केवल एक शोर बनकर रह जाएगा। उन्होंने प्रदर्शनकारियों को सुझाव दिया कि वे जमीन पर निर्णायक और तार्किक विरोध के तरीके अपनाएं।

अजय ढोढ़ियाल

वरिष्ठ पत्रकार अजय ढोढ़ियाल ने इस घटना को हैरान करने वाली बताया। अजय ढोढ़ियाल ने सवाल उठाया कि विरोध के नाम पर इस तरह की मानसिकता कहां ले जाएगी। उन्होंने इस घटना की जांच और कार्रवाई की मांग की।

रतन नेगी ने इस तरह के प्रदर्शन को लोकतंत्र की मर्यादाओं के विरुद्ध बताया। उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति को विरोध करने का अधिकार है, लेकिन इस तरह पुतला जलाना और उसे पटाखों से उड़ाना दुर्भाग्यपूर्ण है।

विरोध के तरीके पर सवाल

सोशल मीडिया में बड़ी सँख्या में लोग टिप्पणी कर रहे हैं कि लोकतंत्र में विरोध प्रदर्शन का अधिकार सभी को है, लेकिन इस तरह की घटनाएं समाज में भय और अशांति पैदा कर सकती हैं। विरोध का यह तरीका न केवल सवालों के घेरे में है, बल्कि इससे विरोध करने वालों की मंशा पर भी बहस छिड़ गई है। अब देखना होगा कि प्रशासन इस मामले में क्या कार्रवाई करता है।

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