Breaking News
अभिनेत्री पद्मिनी कोल्हापुरे ने सीएम धामी से की मुलाकात 
कुवैत ने पीएम मोदी को अपने सबसे बड़े सम्मान ‘द ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर’ से किया सम्मानित 
मुख्यमंत्री धामी ने 188.07 करोड़ की 74 योजनाओं का किया लोकर्पण और शिलान्यास
अब सब विपक्षी दल वापस एकजुट होने लगे
निकाय चुनाव- पर्यवेक्षकों की टीम आज पार्टी नेतृत्व को सौंपेंगे नामों के पैनल
हमारी टीम घर-घर जाकर संजीवनी योजना और महिला सम्मान योजना के लिए करेगी पंजीकरण- अरविंद केजरीवाल
कॉकटेल के सीक्वल पर लगी मुहर, शाहिद कपूर के साथ कृति सेनन और रश्मिका मंदाना मचाएंगी धमाल
साल 2047 में भारत को विकसित बनाने में भारतीय कामगारों की रहेगी अहम भूमिका- प्रधानमंत्री मोदी 
चोटिल हुए भारतीय टीम के कप्तान, 26 दिसंबर से शुरु होने वाले चौथे सीरीज के मुकाबले पर छाया संकट 

दिल्ली हाई कोर्ट का अहम फैसला- पॉक्सो एक्ट के तहत महिलाएं भी हो सकती हैं आरोपी

नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने  एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है, जिसमें यह स्पष्ट किया गया है कि किसी बच्चे पर ‘प्रवेशन लैंगिक हमले’ के मामले में महिलाओं को भी आरोपी बनाया जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि यौन अपराधों के लिए अदालती कार्यवाही केवल पुरुषों तक सीमित नहीं है; अब महिलाओं को भी इस प्रकार की कार्यवाही का सामना करना पड़ सकता है।

महिलाओं के खिलाफ भी होगी कार्यवाही
न्यायमूर्ति अनूप जयराम भंभानी ने कहा कि पॉक्सो अधिनियम बच्चों को यौन अपराधों से बचाने के लिए बनाया गया था, और इसके तहत अपराध चाहे पुरुष द्वारा किया गया हो या महिला द्वारा, कार्यवाही दोनों के खिलाफ की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसा कोई कारण नहीं है कि धारा-3 (प्रवेशन लैंगिक हमला) में प्रयुक्त शब्द ‘व्यक्ति’ को केवल ‘पुरुष’ के संदर्भ में समझा जाए।

क्या था मामला?
यह फैसला एक महिला आरोपी की याचिका पर आया था, जिसमें उसने यह तर्क दिया था कि वह महिला होने के कारण उस पर ‘प्रवेशन लैंगिक हमला’ का आरोप नहीं लगाया जा सकता। आरोपी ने अपने खिलाफ आरोप तय करने पर सवाल उठाते हुए कहा था कि धारा-3 में ‘वह’ शब्द का इस्तेमाल केवल पुरुष अपराधी के लिए किया गया है।

अदालत का तर्क
हालांकि, अदालत ने यह स्पष्ट किया कि पॉक्सो अधिनियम की धारा-तीन और पांच (गंभीर प्रवेशन लैंगिक हमला) के तहत उल्लिखित कृत्य अपराधी की लैंगिक स्थिति की परवाह किए बिना अपराध माने जाएंगे, बशर्ते कि ये कृत्य किसी बच्चे पर किए गए हों।

पॉक्सो एक्ट क्या है?
प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस (पॉक्सो) एक्ट 2012 में बच्चों को यौन उत्पीड़न और अश्लीलता से जुड़े अपराधों से बचाने के उद्देश्य से लाया गया था। इस कानून के तहत 18 साल से कम उम्र के बच्चों के खिलाफ अपराध करने वालों को कठोर सजा का प्रावधान है। 2019 में इसमें संशोधन कर मौत की सजा का भी प्रावधान किया गया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top