Breaking News
कोऑपरेटिव बैंकों का लाभ बढ़कर 250 करोड़ रुपये
पूर्व IPS दलीप सिंह कुँवर बने उत्तराखंड के नए सूचना आयुक्त
चारधाम यात्रा का काउंटडाउन शुरू, बीकेटीसी यात्री विश्राम गृहों की व्यवस्थाओं में करें सुधार
नाकामी पर पर्दा है वक्फ बिल, भाजपा सरकार हर मोर्चे पर नाकाम- सांसद अखिलेश यादव 
देहरादून में मल्टीलेबल कार पार्किंग, आढ़त बजार निर्माण सहित कई परियोजनाओं के लिए बजट मंजूर
उत्तराखंड में सियासी बयानबाजियों के बीच प्रधानमंत्री मोदी की चिट्ठी ने खींची लक्ष्मण रेखा
सोशल मीडिया पर धमाल मचा रहा घिबली ट्रेंड, लेकिन बन सकता है प्राइवेसी के लिए खतरा
प्रदेशभर में सैकड़ों दुकानों पर ताबड़तोड़ छापेमारी 
क्या आपका भी है कोलेस्ट्रॉल लेवल हाई, तो कंट्रोल करने के लिए इन योगासनों का करें अभ्यास

गोल्ड क्यों चमक उठा?

अंतरराष्ट्रीय बाजार में एक औंस सोने का भाव 2100 डॉलर से ऊपर चला गया है। सोने के भाव में इस बढ़ोतरी के साथ-साथ क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन की कीमत ने भी रिकॉर्ड बनाया है। इन दोनों घटनाओं में आपसी रिश्ता है। दुनिया भर में सोने की कीमत रिकॉर्ड स्तर पर पहुंची है। भारत में प्रति दस ग्राम (24 कैरेट) सोने का भाव 65 हजार रुपये के पार चला गया है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में एक औंस सोने का भाव 2100 डॉलर से ऊपर चला गया। सोने के भाव में इस बढ़ोतरी के साथ-साथ क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन की कीमत ने भी रिकॉर्ड बनाया है। एक बिटकॉइन की कीमत 69 हजार डॉलर पार कर गई है। इन दोनों घटनाओं में आपसी रिश्ता है।

यह इस बात का संकेत हैं कि दुनिया भर में निवेशक अमेरिकी वित्तीय संपत्तियों से पैसा निकाल कर अधिक मुनाफा देने वाली या अधिक भरोसेमंद संपत्तियों में निवेश कर रहे हैं। इसका तात्कालिक कारण यह बताया है कि अमेरिका का फेडरल रिजर्व जल्द ही ब्याज दरों में कटौती करने वाला है, जिससे अमरेरिकी ट्रेजरी बिल, बॉन्ड आदि में निवेश पर मुनाफा घट जाएगा। लेकिन यह सिर्फ फौरी वजह है। जबकि सोने में पैसा लगाना एक दीर्घकालिक रुझान बन चुका है। सोने की सबसे ज्यादा मांग चीन में बढ़ी है, जहां का शेयर बाजार सरकारी नीतियों के कारण अनिश्चय में है।

ऐसे में निवेशक सोने का सहारा ले रहे हैं। अमेरिका में बड़ी कंपनियों के शेयरों के भाव फिलहाल रिकॉर्ड बना रहे हैं, लेकिन आशंका यह है कि वहां एक बबूला तैयार हो रहा है, जिसका देर-सबेर फूटना तय है। वैसे भी अमेरिका सरकार पर तेजी से बढ़ते कर्ज कारण पूरी अमेरिकी अर्थव्यवस्था के बारे में इस समय कयासों का दौर है। एक आकलन के मुताबिक अमेरिका सरकार पर हर 100 दिन पर एक बिलियन डॉलर का कर्ज बढ़ रहा है।

जल्द यह स्थिति आने वाली है, जब अमेरिका को हर साल एक ट्रिलियन डॉलर से अधिक रकम सिर्फ ब्याज के रूप में चुकानी होगी। इस पर आम राय है कि यह स्थिति टिकाऊ नहीं है। लेकिन इसका कोई सहज समाधान भी नजर नहीं आ रहा है। ऐसे में अमेरिकी मुद्रा डॉलर में भरोसा घटना लाजिमी है। खासकर उस समय तो और भी ज्यादा जब ब्रिक्स समूह अंतरराष्ट्रीय कारोबार में इस मुद्रा का विकल्प तैयार करने में गंभीरता से जुटा हुआ है। परिणाम है सोने का और चमक उठना।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top